वक्त
काश! इस जाते हुए वक्त
को हम रोक सकते,
अपनो के साथ गुज़ारा
हर लम्हा जोड़ सकते,
न जाने कितनी यादें
जो अपनो ने दी हमें,
काश! जिंदगी को हम
पीछे मोड़ सकते,
यें अंतिम दिन यूं ही
गुज़र जाएंगे,
कुछ भूल जायेंगे बातें,
कुछ पल याद आयेंगे,
जी लो ये चार दिन,
हंस–खेल के साथ–साथ,
कल का पता नहीं,
वक्त के झरोखें कहां ले जायेंगे…….
स्तुति…