“वक्त”
वक्त को किसने जाना है ।
पर हर इंसान इसके आगे हारा है।
वक्त हर पल ढल जाता है।
सब को कुछ ना कुछ दे जाता है।
वक्त कभी दवा है,तो कभी सजा है।
दुख का नाम भी है ,खुशी का पैगाम भी है।
इस को सभी ने माना है।
वक्त को किसने जाना है।
वक्त ही है जो अच्छे बुरे की पहचान करता है।
जो रोया नहीं वक्त उस रुलाता है।
जो हसा नहीं उसे भी हसाता है।
वक्त ही है जो राजा को भी रंक बनाता है।
वक्त कभी खुशनुमा एहसास है।
तो कभी तन्हाई के साथ है।
हर एक को इसने पहचाना है ।
वक्त को किसने जाना है।