वक्त ✍✍
***वक्त तुझे रास ना आया
मेरा मुस्कराना इठलाना
जब भी मिला कोई मीत
तुझे आया दीवार बनाना
वक्त तुझे—————–
मैं छुईमुई सा मुरझा गया
ना रास आया मेरा खिलना
जब मिला कोई प्रेम पर्थिक
तुझे आया अंगारे सुलगाना
वक्त तुझे———————
मैं पहले ही किस्मत का मारा
क्यों तूने भविष्य जला दिया
जब मिला बिछुडा प्यार मेरा
तूने बस पलीता सुलगा दिया
वक्त तुझे———————-
मैं मुड-मुड कर देखता रहा
वापस यूँ आने की राह तेरी
वक्त तू कल्प लम्बे करता रहा
मौत का इन्तजाम कर मेरी
वक्त तुझे———————
समझ खिलौना वक्त खेलता
मार थपेड़े गिरा मुझे उठाता
सबक देकर मुझको सिखाता
मैं बुद्धू सा भौचक रह जाता
वक्त तुझे———————–
डॉ मधु त्रिवेदी