“वक्त वक्त की बात”
“वक्त वक्त की बात”
वक्त वक्त की बात है,
जिंदगी की राहों में ये सच्चाई छिप जाते है।
कोई दिन हंसते-मुस्कुराते गुजर जाते हैं,
कोई दिन ग़मों के सायों में सिमट जाते हैं।
कभी गिरते हैं, फिर उठते हैं हम,
वक्त की चाल में बढ़ते हैं हम।
अपनी ताक़त से सामना करते हैं,
वक्त वक्त की सिख में लिपटे हैं हम।।
“पुष्पराज फूलदास अनंत “