वक्त यहीं पर अभी इसको ठहर जाने दे
वक्त यहीं पर अभी इसको ठहर जाने दे
तेरे दीदार से नज़रों को गुज़र जाने दे
नश्शा हो जाये मुझे मौत मेरी होने तक
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे
शमअ उलफत की जलाई है उजाला होगा
शाम ये आई अगर है तो गुज़र जाने दे
एक मुद्दत से मोहब्बत की तिरी दासी हूँ
जा तुझे क्या मुझे यूँ ही बिखर जाने दे
तुम पे ये जान भी दे दूँ क्या ग़म है मुझे
प्यार में कँवल को हद से गुज़र जाने
बबीता अग्रवाल #कँवल