वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त नही मिल रहा ,वक्त बिल्कुल नही है
ये सब बहाने जहा प्राथमिकता,या जरूरी हो वहा खतम हो जाते है
वहा आप इसी एक बहाना जो आप समाज में पसार रहे है उसी बहाने में से प्राथमिकता और जरूरत के लिए वक्त निकाल लेते हो। अपने काम, जिम्मेदारियों और बाकी आपाधापी वाले जीवन से
तो इंसान को वक्त नही है की बहाने से बाहर आकर
ये बोल देना चाहिए आप मेरी प्राथमिकता या मेरे वक्त की सहजता के लिए जरूरी नही हो।
वक्त ना होने का बहाना तो बस मूर्ख बनाने या समझने का तरीका है।
वक्त सिर्फ अब प्राथमिकता और सहजता के भाव पर मिलेगा।
बने रहे रिश्ते अच्छे, लंबे या पुराने कोई फर्क नही पड़ता।
वक्त सिर्फ प्राथमिकता और सहजता के परिमाप पर मिलेगा या बात जायेगा या आप बाटोगे ।