Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 2 min read

वक्त परिवार और परवरिश

वर्तमान समय मे अगर गौर से देखा जाये तो बच्चे कितनी वंचनाओं में जिंदगी गुजारने के लिए विवश है… कहीं न कहीं पैरेंट्स और वर्तमान शिक्षा पद्धति जो उन्हें उम्र से जल्दी बड़ा करने की जद्दोजहद में उनके बचपन को छीन रही… दूसरी तरफ भेड़ चाल जैसा चलता आपसी माहौल,, हम खुद अपने बच्चो को लेकर इतना सहज नही है जितना कि उन्हें बनाना चाहते!
जबकि हमारा बचपन उनके बालपन से कही जय्यादा सहज रहा, हमारे ऊपर पैरेंट्स और स्कूल का इतना दबाव नही था उसके बावजूद पैरेंट्स के लिए एक सम्मानित डर रहता था,
हम कई बार अपने जोखिमो को छिपाते थे, स्कूल के दिनों के झगड़े मारपीट या किसी भी भाई बहन के झगड़े खुद उलझ कर खुद सुलझा लिया करते थे, कई बार तो मामला महीनों बाद पैरेंट्स के सामने आते कि हम गिरे पिटे या पीट कर आये , कब झगड़े कब उलझे …
हमारे मन मे कोई अपराधबोध नही होता था सिवाय इस डर के पैरेंट्स उस बात को मामूली मानकर हमे ही डांटेंगे, हमारे पास दोस्ती करने के लिए उसवक्त सिर्फ दोस्त और मनोरंजन के लिए साइकिलिंग, टीवी या फिर आउटडोर इनडोर गेम होते थे…
हम अपनी माँ से कही ज्यादा पितां से डरते थे, वक़्त के साथ हम बड़े हुए और पितां के कंधे दोस्ती के लिए थामे पर इस बात के लिए वक्त लगा जब पितां ने समझा हम दोस्ती और अपनी राय रखने के लिए समझदार हो चुके…
लेकिन आज के बच्चे शायद जन्म लेते ही अपराधबोध में दब जाते, हम उनके प्ले क्लास से ही टॉप चाहते, कंपेयर करते ,सभ्यता शिष्टता अनुसाशन , उठने बोलने खाने पीने से लेकर उनको हाइ स्टैंडर्ड मेनटेन देने की कोशिश करते, जिसमे कितनी बार उन्हें इस बात का एहसास करा देते वो कुछ नही कर सकते…. या तो कुछ मामलों में हम बहुत सख्त रवैया अपना रहे या फिर बहुत नर्म, अपने ही अपराधों को छिपा कहीं न कहीं हम गाहे बगाहे उन्हें दोष देते रहते, हमने खुद के लिए एक सीमित क्षेत्र बना लिया जिसमे न प्राकृतिक चीज़े है न बच्चो के स्वाभाविक सहजता वाली…. जिसके कारण न उनमें साहस है और न ही भय!
साहसी न होना हमने सिखाया, उसने जिस भी चीज़ को हाथ से छूना चाहा, चाहे वो कोई छोटा जानवर हो या कोई मामूली भौतिक चीज़ हमने अपने रोक टोक से उसे डरा दिया, हल्की सी चोट को हमने डॉक्टर इंजेक्शन मेडिशन यहां तक कि खुद के माथे पर चिंता की हज़ार लकीर समेटकर उसे पहले डरा दिया…. भय इसलिए नही है क्योंकि हमने स्मार्ट पैरेंट्स बन दोस्ती के लिए उसकी हरबात मान ली, अब पितां के अंदर बच्चो को उनसे छोटा बच्चा और मां के अंदर उनके हर व्यवहार पर रोकटोक करने वाली सख्त टीचर दिखती।
लेकिन सत्य यही है दोनो ही अपनी अपनी जिंदगी में अपराधबोध ढो रहे है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...