वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना )
वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना )
वक्त नाजुक है , जरा संभलकर रहिये
कोरोना की भीषण त्रासदी है, जरा बचकर रहिये |
कैद कर लोगे जो खुद को, खुद के ही आशियाँ में
जीत जाओगे जंग जिन्दगी की, होशियारी से रहिये |
कुछ पल की दूरियां, जिन्दगी से नजदीकियाँ बढ़ा देंगी
कोरोना की भयावह चाल है, संभलकर रहिये |
खुद की परवाह करें, और अपनों की भी
चंद रोज साथ गुजारकर . खुश रहिये |
बेवक्त बेवजह घर से , बाहर न निकलें
जब भी मजबूरी हो , सेनीटाईजर , मास्क के साथ चलिए |
इस धरा ने इससे भी भयावह, देखे हैं तूफां
खुदा ने दिया है तुझे वक्त इबादत का, कुछ वक्त उस खुदा की इबादत में गुजारकर चलिए |
वक्त नाजुक है , जरा संभलकर रहिये
कोरोना की भीषण त्रासदी है, जरा बचकर रहिये |
कैद कर लोगे जो खुद को, खुद के ही आशियाँ में
जीत जाओगे जंग जिन्दगी की, होशियारी से रहिये ||