**वक्त क्यों खोए**
खलल डालने वाले डालते हैं, निज काम अपने हम क्यों टालते हैं। मत जाओ उस डगर ,चलो स्वयं का पथ ,संभालते हैं ।
भीड़ में जाकर बैठो गे, इधर-उधर की बातों में नहाना पड़ेगा।
वक्त क्यों खोए उसमें ,व्यक्तित्व स्वयं का निखारते हैं।
दुनिया तो ग़मों का सागर है ,सुख की उसी में भरना गागर है।
न यूं ही बहों ,आओ नवसृजन के झरने उतारते हैं।
सबके लिए आदर्श बने, चिंतन भाव मन में यही ठने।
अनुनय अपने साथ ,औरों का भी भविष्य संवारते हैं ।।
राजेश व्यास अनुनय