वक्त क्या बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
वक्त क्या बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
छोड़कर पुरानी रीत लोग रूबाई में जा लगे।
कोशिशें तमाम करके छोटा न कर सके प्रखर।
पैरों के नीचे तब यही लोग खुदाई में जा लगे।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘
वक्त क्या बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
छोड़कर पुरानी रीत लोग रूबाई में जा लगे।
कोशिशें तमाम करके छोटा न कर सके प्रखर।
पैरों के नीचे तब यही लोग खुदाई में जा लगे।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘