–वक्त के साथ –
वकत की दरकार है
की तुम मेरे साथ चलो
वक्त ही तो कहता है
तेज रफ़्तार मत चलो
मुझ छोड़ के आगे न जा सकोगे
हाथ खींच लूँगा वही ठहर जाओगे
तभी तो कहता हूँ
भाग के कहाँ तक जाओगे
न जाने कितने मंजर से
गुजरने के बाद भी
आज तक कोई मेरे को बदल
ही नहीं पाया है
अपने आंसूओं के
न जाने कितने आने जाने
वाले लोगों ने हर
वक्त ही भिगोया है
सोच के चलना
जहाँ जहाँ भी जाओगे
मेरे वो वक्त हूँ , जिसको
सदा अपने संग ही पाओगे
अजीत कुमार तलवार
मेरठ