वक्त के साथ बदलने में
क्या कहूँ अब तो वो दर्द भी अपना सा लगता हैं।
तेरे संग बीतें तमाम यादें भी सपना सा लगता हैं।
कमबख़्त वक्त ने खेल खेला इस कदर क्या कहें
पर वक्त के साथ बदलने में पूरा जमाना लगता है।।
© प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)