Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।

वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
वक्त भर देगा हर एक घाव जरूरी तो नहीं।

तमाम उम्र तपिश में ही गुजर सकती है।
बुझेगा वक्त का अलाव जरूरी तो नहीं।

शज़र घना है बहुत और खूब फैला है।
सुकून देगी उसकी छांव जरूरी तो नहीं।

शहर को कोसते हो खूब शहर में रहकर।
गांव में रहके मिले गांव जरूरी तो नहीं।

मांग लें माफियां इल्जाम सभी सर ले लें।
दूर हो जाए पर दुराव जरूरी तो नहीं।

ताज पहने हुए देखा है लकड़बग्घों को।
लोग वाजिब करें चुनाव जरूरी तो नहीं।

पहन लो खूब तुम ताबीज़ भाई चारे की।
छोड़ दे सामने वाला भी अपने दांव जरूरी तो नहीं।

सूखी बछिया का दान करते हरा बटुआ रख।
बनेगी वह तुम्हारी नाव जरूरी तो नहीं।

लड़ाई जीती नहीं जाती बिन पियादों के।
बनेगा हर कोई ही राव जरूरी तो नहीं।

जिसकी आंखों में सोई झील तुम्हे दिखती है।
उसके दिल में भी हो ठहराव जरूरी तो नहीं।

आज जो मिल रहा है सोच के ठुकराओ “नज़र”।
बढ़ेगा कल तुम्हारा भाव जरूरी तो नहीं।
Kumar kalhans

Language: Hindi
14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Destiny's epic style.
Destiny's epic style.
Manisha Manjari
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
Ravi Prakash
मानवीय कर्तव्य
मानवीय कर्तव्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे तात !
मेरे तात !
Akash Yadav
Happy new year 2024
Happy new year 2024
Ranjeet kumar patre
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
#आज_का_शेर-
#आज_का_शेर-
*प्रणय प्रभात*
आशियाना
आशियाना
Dipak Kumar "Girja"
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
SPK Sachin Lodhi
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
जब कभी प्यार  की वकालत होगी
जब कभी प्यार की वकालत होगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुनो, मैं जा रही हूं
सुनो, मैं जा रही हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
परखा बहुत गया मुझको
परखा बहुत गया मुझको
शेखर सिंह
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
gurudeenverma198
सुकून
सुकून
अखिलेश 'अखिल'
3150.*पूर्णिका*
3150.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्तों का गणित
रिश्तों का गणित
Madhavi Srivastava
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
जबकि ख़ाली हाथ जाना है सभी को एक दिन,
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
माँ और बेटी.. दोनों एक ही आबो हवा में सींचे गए पौधे होते हैं
Shweta Soni
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
Umender kumar
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
DrLakshman Jha Parimal
दिल अब
दिल अब
Dr fauzia Naseem shad
Love Night
Love Night
Bidyadhar Mantry
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
कवि रमेशराज
"बहरापन"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
Loading...