वक्त के पहरुए
सुनो….
वक्त के पहरुए
बुला रहे हैं
तीखी सी आवाज
दे रहे हैं
छोड़ मत देना
ये किस्सा आज का
जो वे सुना रहे हैं
देखो…
ये आज
मधुर भ्रमरियों में
बहका न ले
आगे के कदम
डगमगा न दे
पथिक,, तुम्हें ही
सोचना होगा
अवरोध न हो
तो…
पथ नवीन
खोजना होगा
बहुत मखमली है
ये आज की बाधाएँ
सुला न लें
ये अपने आगोश में
बंधनों से मुक्त ही
मुसाफिर बनता है
सतत चलने से ही
पथ.. मुख़्तसर
बनता है
देख… मंजिलें
सदाएं दे रही हैं
बनके पहरुआ
आवाज दे रही हैं
है दूर जाना अभी
बनके तेरी
चेता रही हैं
है समय वही
जो वक्त पर
बीतता है
समय की सुने जो
वही जीतता है
सोनू हंस