वक्त के इस भवंडर में
वक्त के इस भवंडर में
हम कैसे आ फंसे हैं
आगे बढ़ने की तमन्ना नहीं
और पीछे कदम लड़खड़ा उठे है।
हरमिंदर कौर अमरोहा
वक्त के इस भवंडर में
हम कैसे आ फंसे हैं
आगे बढ़ने की तमन्ना नहीं
और पीछे कदम लड़खड़ा उठे है।
हरमिंदर कौर अमरोहा