व़क्त की हक़ीक़त
ज़िंदगी हर क़दम एक नई जंग है ,
जिसके हर दिन हर पल बदलते नए रंग है,
जिनसे लड़ते जूझते हर आदमी के अपने अपने ढंग है ,
कुछ मुफ़लिसी , बढ़ती महंगाई , बेरोज़गारी , और कुछ बीमारी से तंग है ,
कुछ को नाक़ामी , बेवफ़ाई और रुस़वाई होने का रंज है ,
कुछेक के लिए बेमक़सद जिंदगी बनकर रह गई एक तंज़ है ,
कुछ के लिए ज़िंदगी की राह में हमसफ़र साथी पल दो पल का संग है ,
कुछेक के टूटे दिल की दास्तां बनकर रह गई ये ज़िंदगी जिनके सपने भंग है ,
ज़िंदगी अरमानों के आसमान की उड़ान से ज़मीन पर लाकर रख देती है ,
हरेक को हस़ीन ख्व़ाबों और ख्य़ालों की दुनिया से निकाल , व़क्त की हक़ीक़त का आईना दिखा देती है ,