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18 Jul 2024 · 1 min read

वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं

वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
तब तलक लगता हमें कोई सहर होगी नहीं

कर लिया है बंदिशों की कैद में अपना ये दिल
अब ज़माने को कोई इसकी खबर होगी नहीं

नफ़रतों का सिलसिला चलता रहेगा जब तलक
प्यार करने वालों की तब तक क़दर होगी नहीं

ज़ख्म ही नासूर बनकर कह रहे हैं चीखकर
दर्द के अंबार के सँग अब गुजर होगी नहीं

चोट खाई है जो दिल ने इश्क़ के मैदान में
अब दवा कोई भी इस पर कारगर होगी नहीं

इन दुखों को अब सुखों में ढालना होगा हमें
ज़िंदगी तो सिर्फ़ रो रोकर बसर होगी नहीं

राज़ अपने यदि सभी दिल में छिपा लें ‘अर्चना’
बात कोई भी इधर से फिर उधर होगी नहीं

डॉ अर्चना गुप्ता
18.07.2024

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 184 Views
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