विद्यालय
विद्यालय हमारा मंदिर है ,
जिसमें पूजते हैं भगवान ,
भक्ति की निष्ठा से हमें ,
सम्प्राप्ति शिक्षा का वरदान।
मंदिर को स्वच्छ रखो ,
मानस लगेगा भक्ति में ,
भक्ति में मत लगने से ही ,
मनुज सम्प्राप्ति मंजिल है।
शिक्षा का वरदान सम्प्राप्ति यहाँ ,
विद्यालय ही हमारा मंदिर है ,
भगवान हमारे पूज्यवर गुरू ,
भक्त हम समग्र विद्यार्थी है।
विद्यालय हमारा दूसरा भवन ,
आते रहते अनभिज्ञ सदस्य ,
साहचर्य मिलते प्रीति से हम ,
पढ़ाई – लिखाई एक गुत्थी है ,
कथन को निष्फल करते हम ,
गढ़ते पढ़ाई – लिखाई को सहज।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या