वक्त का काम
वक्त की धारा में बहता है जीवन,
हर पल, हर कदम, अपने ही रंग में।
इंसान चाहे, जो हो सही वक्त पर,
पर नियति का खेल नहीं समझता वो,
जब जो होना है, वही होगा,
जो लिखी है किस्मत, वही मिलेगा।
कर्म है हाथों में, पर परिणाम नहीं,
हर हिस्सा जीवन का समय से जुड़ा है कहीं।
वक्त कब क्या करवा देगा, कौन जानता है,
और कब क्या देगा, ये भी किसको पता है।
पर इंसान चाहता है, सब हो उसके हिसाब से,
वो वक्त को वक्त नहीं देना चाहता,
अपनी ही रफ्तार से चलना चाहता है।
पढ़ाई, नौकरी, शादी, और बच्चे,
हर कदम पर उम्मीदों के बंधन हैं कच्चे।
प्रमोशन, मकान, प्रेम विवाह या विदेश ट्रिप,
सब कुछ वक्त पर ही होगा, जब उसका वक्त होगा।
जो मिलना है, वो मिलेगा निश्चित,
नियति का खेल कभी गलत नहीं होता,
जो होना है, वही घटेगा,
और जो नहीं होना है, वो भी नहीं होगा।
तो क्यों चिंता में घुलता है मन,
क्यों हर पल में ढूंढता है परिणाम?
क्यों नहीं समझता, जीवन का ये राज़,
कि वक्त और हालात से बड़ा कोई नहीं,
हर चीज का अपना समय है,
जब उसका वक्त आएगा, तब वह पूरी होगी।
भगवान ने जो लिखा है, वही सही है,
श्रद्धा रखो, और दिल से मानो।
मजबूती से अपने कर्म करते रहो,
बिना परिणाम का सोचो, बस चलते रहो।
क्योंकि जीवन का असली मोल,
इसी यात्रा में है, जहाँ रास्ते बदलते हैं,
और मंजिलें खुद ही मिल जाती हैं।
जो वक्त को मानता है, वो सही राह पर चलता है,
और जो वक्त से लड़ता है, वो हार जाता है।
अपने वक्त में विश्वास रखो,
भगवान की श्रद्धा को दिल में बसाओ।
हर पल को जीओ, हर कर्म को निभाओ,
क्योंकि यही तो जीवन का असली सार है,
कि कर्म करते जाओ, फल की चिंता छोड़ दो,
वक्त जब सही होगा, तो सबकुछ मिलेगा,
और जब नहीं होगा, तो कुछ भी नहीं।
ये जीवन है, एक बहती नदी की तरह,
हर मोड़ पर नई दिशा, नई राह है।
पर जो भी होगा, समय के हिसाब से होगा,
इंसान के चाहने से नहीं,
तो क्यों न इसे सहजता से जीएं,
और अपने कर्मों में रचे-बसे रहें,
क्योंकि यही सच्चा जीवन है,
जहाँ नियति और वक्त का संगम होता है।
समय के साथ चलते रहो,
भगवान पर विश्वास रखो,
और कर्म के रास्ते पर आगे बढ़ते जाओ,
यही जीवन का सही अर्थ है,
यही जीवन का असली सार है।