वक्त और दूरी
कहीं दूर चले आए हैं घर से
कहीं दूर चले आए हैं घर से,
की यह से घर पहुंचने में वक्त बहुत लगता है।
जहाँ चले आए हैं वहाँ वक्त कहाँ बचता है,
हर पल कुछ न कुछ होता है।
नई जगह, नए लोग, नए अनुभव,
सब कुछ नया है।
इस नई दुनिया में खोया जा रहा हूँ,
और अपना घर भूल रहा हूँ।
कभी-कभी मन करता है,
कि वापस घर लौट जाऊँ।
पर फिर सोचता हूँ,
कि यहाँ आने का क्या मतलब था?
यहाँ आने का मतलब था,
अपने सपनों को पूरा करना।
और मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए,
यहाँ रहना चाहता हूँ।
मैं जानता हूँ,
कि घर से दूर रहना आसान नहीं है।
पर मैं कोशिश करूँगा,
कि अपने सपनों को पूरा करूँ।
और फिर,
एक दिन मैं अपने घर लौटूँगा।
लेकिन तब,
मैं एक अलग इंसान बनूँगा।
एक ऐसा इंसान,
जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए,
हर कठिनाई का सामना कर सकता है।
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