वक्त और दिन
जीवन मेले में वक्त और दिन हमेशा एक जैसे रहते नहीं,
बारिश और तूफ़ान भी समंदर में देर तक ठहरते नहीं I
जहाँ भी इस जहाँ में जाता हूँ, तेरी मोहब्बत पाता हूँ ,
तेरी खूबसूरत आँखों की इस दरिया में डूब जाता हूँ ,
तेरे अहसानों के “दिए” तले मेरा जीवन दब जाता है ,
गुनाह करूं फिर भी तेरी मोहब्बत से बच जाता हूँ I
जीवन मेले में वक्त और दिन हमेशा एक जैसे रहते नहीं,
बारिश और तूफ़ान भी समंदर में देर तक ठहरते नहीं I
मेरा मीत करता इन्तजार सागर के उस पार हम इस पार,
मेरा मन- मयूरा नाचे साजन से करता बस प्यार ही प्यार,
मेरे मांझी अपनी नैया से सागर पार करा दे कर दे उद्धार,
परदेश में कोई न सुने तुम कर सकते हो इसपर उपकार I
जीवन मेले में वक्त और दिन हमेशा एक जैसे रहते नहीं,
बारिश और तूफ़ान भी समंदर में देर तक ठहरते नहीं I
परदेश से जब जाऊं अपने देश तो मेरा हाथ भी थाम लेना,
मेरी जीवन नैय्या में बैठे वक्त और दिन को तुम संभाल लेना,
तेरी चौखट का टुकड़ा हूँ अपने कदमों में थोड़ी जगह दे देना,
“राज” जमाना कुछ भी कहे अपने दर की धूल मुझको दे देना I
जीवन मेले में वक्त और दिन हमेशा एक जैसे रहते नहीं,
बारिश और तूफ़ान भी समंदर में देर तक ठहरते नहीं I
*********************************************
देशराज “राज”
कानपुर