वक्त ए मर्ग है खुद को हंसाएं कैसे।
हम सोज ए दिल को बुझाएं कैसे।
वक्त ए मर्ग है खुद को हंसाएं कैसे।।1।।
सारी की सारी शब ही जागते रहे।
अब नींदों को नज़रों में लाएं कैसे।।2।।
जनाजा उठा है मेरा धूमधाम से।
रो रहे है सभी इन्हें समझाएं कैसे।।3।।
वफ़ा करते रहे हैं तमाम उम्र हम।
बेवफ़ा है वो दिल को बताएं कैसे।।4।।
तुम शनासा थे सारे जज़्बातों से।
तेरे साथ गुजरे लम्हें भुलाएं कैसे।।5।।
गर गम है तो खुशी भी है इसमें।
जिन्दगी है पहेली सुलझाएं कैसे।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ