#वक्तठहरजाओ
ए वक्त जरा ठहर जाओ,
अपना साथ ना छोड़ो।
जो पल सुनहरे बीते हैं,
उन्हें जरा पलकों में समेट लेने दो!
वक्त तुम्हारे साथ चलूंगी
उस पल के यादों को संदूक में
सजाकर मंद- मंद मुस्काऊंगी ..
ए वक्त जरा ठहर जाओ,
अपना साथ ना छोड़ो!
जो पल दुख देखकर बीते,
उनसे भी बातें करने दो।
गहरे जख्मों से टूटी हूं,
आंखों में मोती बनकर छूटी हूं।
कुछ मोती संग लेने दो,
उनसे ही गिरकर संभालना सीखी हूं…
ए वक्त जरा ठहर जाओ,
अपना साथ ना छोड़ो!
अपनों ने साथ जो छोड़ा है,
तुम भी साथ ना छोड़ो मेरा!
खुद को अकेला समझ रही हूं ,
अब तुम ही हाथ पकड़ लो मेरा,
अपने साथ मुझे ले लो!
मेरा भी वक्त बदलेगा ,अपने जो मुझसे रूठे हैं।
एक दिन मेरे साथ चलेंगे ,खुद ही मुझसे बात करेंगे।
बस तुम साथ मेरा ना छोड़ना…..
ए वक्त जरा ठहर जाओ,
अपना साथ ना छोड़ो!
डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि ‘