वकालत न दे।
जो झूठ की पैरवी करे मुझे वो वकालत न दे।
सच शर्मशार करे वो न्यायाधीश,अदालत न दे।
कटे सिर मंजूर झूठे लफ्ज अदा न करुं मौला,
खामखा़ फ़जीलत से मेरे मौत को ज़लालत न दे।
-शशि “मंजुलाहृदय”
जो झूठ की पैरवी करे मुझे वो वकालत न दे।
सच शर्मशार करे वो न्यायाधीश,अदालत न दे।
कटे सिर मंजूर झूठे लफ्ज अदा न करुं मौला,
खामखा़ फ़जीलत से मेरे मौत को ज़लालत न दे।
-शशि “मंजुलाहृदय”