वक़्त
वक़्त के हाथ भी न आया है
वक़्त ऐसे हुआ पराया है।
हम तो समझे कि आपसा है वो
आप को गैर वो बताया है।
ये अज़ब हाल हमने देखा फ़िर,
याद जिसको किया भुलाया है।
चाँदनी रात का ये किस्सा है
चाँद ने भी उसे सताया है।
इश्क है इक नशा कि क्या है ये,
क्यों किसी को समझ न आया है।
गर जुबां से बयाँ हुआ था नहीं,
हाल किसने तुम्हें सुनाया है।
भूल जाने में कुछ बुरा क्या है,
था निभाना वफ़ा निभाया है।
#बाग़ी