Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2024 · 1 min read

वक़्त

मै जहाँ था वही हूँ
जैसा था वैसा हूं
मगर
वक्त बहुत बदल गया है
और ज़िन्दगी का एक पन्ना
आज फिर पलट गया है

Language: Hindi
1 Like · 98 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dinesh Kumar Gangwar
View all
You may also like:
3297.*पूर्णिका*
3297.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
ये बेपरवाही जंचती है मुझ पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कृष्णा तेरी  बांसुरी , जब- जब  छेड़े  तान ।
कृष्णा तेरी बांसुरी , जब- जब छेड़े तान ।
sushil sarna
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
हर चीज़ मुकम्मल लगती है,तुम साथ मेरे जब होते हो
Shweta Soni
मिथक से ए आई तक
मिथक से ए आई तक
Shashi Mahajan
🙅याद रहे🙅
🙅याद रहे🙅
*प्रणय*
हिम्मत है तो कुछ भी आसान हो सकता है
हिम्मत है तो कुछ भी आसान हो सकता है
नूरफातिमा खातून नूरी
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
gurudeenverma198
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
किसी मुस्क़ान की ख़ातिर ज़माना भूल जाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बातों को अंदर रखने से
बातों को अंदर रखने से
Mamta Rani
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
हुनर हर मोहब्बत के जिंदगी में सिखाएं तूने।
हुनर हर मोहब्बत के जिंदगी में सिखाएं तूने।
Phool gufran
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
हम तुम्हारे हुए
हम तुम्हारे हुए
नेताम आर सी
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
*देह बनाऊॅं धाम अयोध्या, मन में बसते राम हों (गीत)*
*देह बनाऊॅं धाम अयोध्या, मन में बसते राम हों (गीत)*
Ravi Prakash
हो सके तो खुद के मित्र बनें शत्रु नहीं
हो सके तो खुद के मित्र बनें शत्रु नहीं
Sonam Puneet Dubey
मन की पीड़ा क
मन की पीड़ा क
Neeraj Agarwal
हाइकु
हाइकु
भगवती पारीक 'मनु'
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
Suryakant Dwivedi
ऐ ज़िंदगी।
ऐ ज़िंदगी।
Taj Mohammad
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
DrLakshman Jha Parimal
*
*"परछाई"*
Shashi kala vyas
"सेहत का राज"
Dr. Kishan tandon kranti
हां मैं उत्तर प्रदेश हूं,
हां मैं उत्तर प्रदेश हूं,
Anand Kumar
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
शान्ति कहां मिलती है
शान्ति कहां मिलती है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...