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12 Jun 2017 · 1 min read

वक़्त-वक़्त की बात…..

पहले जब कभी
आते थे वह मेरे शहर
तब मिलते थे
मुझसे सबसे पहले
पर अब आते हैं चुपके से
शहर की महफ़िलों में
और चले जाते हैं
हौले से
छोड़कर महफ़िल
जाने कब
जैसे जानते ही न हों मुझे
इसे ही कहते हैं शायद
वक़्त -वक़्त की बात
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर

Language: Hindi
1 Like · 534 Views
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