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25 Mar 2022 · 1 min read

वक़्त बीत चला है

दीवारों से मिलकर रोते-रोते अब वक्त बीत चला है
तन्हा जीवन जीते जीते अब वक्त बीत चला है
आहट तेरे आने की अब नई बहारें लेकर आईं हैं
पतझड़ सा जीवन जीते जीते अब वक्त बीत चला है

इंजी. संजय श्रीवास्तव “सरल”
बालाघाट (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
120 Views
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