वक़्त पर लिखे अशआर
कितनी सदियों को इसने काटा है।
वक्त को क्या थकन नहीं होती ।।
हर एक पल को जिया है शिद्दत से।
वक़्त हमने कहां गवाया हैं ।।
आज भी इंतज़ार उसका है ।
वक्त जो लौट कर नहीं आया ।।
खुद उम्मीदों का जिंदगी में
हिसाब बन जाता ।
वक़्त पर तू अगर वक़्त का
जवाब बन जाता ।।
एक हम थे जो बदल न सके।
वक़्त-ए-हालात कब नहीं बदले ।।
आज भी इंतज़ार उसका है।
वक़्त जो लौट कर नहीं आया ।।
दुनिया की कोई दौलत
फिर काम न आए।
वक्त की मुट्ठी से जब
वक़्त सरक जाए ।
वक़्त की फ़ितरत को
बदल कर रखते ।
कैसे तुझको निगाहों की
हद में रखते ।।
वक्त का वक्त जवाब होता है।
हर गुनाह का हिसाब होता है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद