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10 Feb 2022 · 1 min read

वक़्त को वक़्त ही बदलता है

वक़्त को वक़्त ही बदलता है।
आदमी आदमी को छलता है।।

जिस्म की बात छोड़ दो जानाँ ।
मेरा साया ही मुझको खलता है।।

अपना चेहरा बदल भी ले कोई ।
अपनी फ़ितरत कहां बदलता है।।

अहमियत उसकी कौन समझेगा।
जो दिया रौशनी में जलता है।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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