वक़्त को वक़्त ही बदलता है
वक़्त को वक़्त ही बदलता है।
आदमी आदमी को छलता है।।
जिस्म की बात छोड़ दो जानाँ ।
मेरा साया ही मुझको खलता है।।
अपना चेहरा बदल भी ले कोई ।
अपनी फ़ितरत कहां बदलता है।।
अहमियत उसकी कौन समझेगा।
जो दिया रौशनी में जलता है।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद