वकत वक्त की बात है
वकत वक्त की बात है दोस्तों
लोगों ने तो भगवान को भी नहीं
छोड़ा. तो ये दल बद्लू और
बड़ी बड़ी बातें करने वाले नेता क्या चीज हैं ?????
जिधर भी देखा अपना स्वार्थ
तूरन्त पाला बदल देते हैं
जिस थाली में बैठ खाया करते थे
उसी में छेद कर निकल लेते हैं……!!!!!
अपना ऊल्लू सीधा करने को
गीरी से गीरी जगह पर थूक चाट लेते हैं
वादो की ऐसी बौछार करते हैं
जैसे पल में सब के दुख हर लेते हैं…..!!!!
एक बार जो मिल गयी सत्ता
फ़िर पतली गली से निकल लेते हैं
मिल्ने कोई जाये अपनी शिकायत लेकर
देखा है हर बार, ये अपना पल्ला झाड़ लेते हैं…..!!!!
कवि अजीत तलवार
मेरठ