वकत की वेवफाई
चल पडे हम तो अकेले गुमराह मोड पर
वकत को वेवफा समझकर। ।
सोचकर मन से भूला बैठा
जो कभी अपना सपना था।।
खुद से न कभी गुज़ारिश
अपने को गैरो के जैसा समझकर।।
अपनो ने दिया जब धोखा हमको
अपनो से बेगाना समझकर। ।
ये सनम कहू क्या आप से हम
क्यो हमको अब छोडा। ।
शीशे से बदतर दिल को तोडा
जोड सकू अब में कैसे इसको।।
अपना एक हम दर्द समझकर
चल पडे हम तो अकेले गुमनाह मोडपर।।
वेवफाई का शीला तूने दिया
दर्द को दिल ने महसूस किया।।
समझकर तूने खुद को पनहा
वेपनहाई में तनहाई से जोड दिया।।
समझकर हमको अकेला हम से नाता तोड लिया
कभी बकत हमारा जागे। ।
छोडकर तुझको भागे
फिर कभी हमशे न मुलाकात होगी।।
तनहाई से हमारी बाते होगी
अब तो हमेशा यादे होगी।।
जी लूगा लहू के भी घूट पीकर
चल पडे हम तो अकेले गुमराह मोडपर।।।।