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5 Dec 2017 · 1 min read

वंशवाद का भूत

पैदा फिर से हो गया ,…. वंशवाद का भूत ।
सर पर जिसका जोर से, मार दिया है जूत।
मार दिया है जूत , ..पिला जूते को पानी ।
वही पुराना खेल, …चाल फिर वही पुरानी।
कह रमेश कविराय, दिया ये कैसा ओहदा ।
बंजर है जब खेत , …फसल हो कैसे पैदा । ।
रमेश शर्मा

1 Like · 510 Views
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