वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम
अपने भारत देश पर कभी आँच नहीं आने देंगे हम
जान चली भी जाएगी तो हमें नहीं उसका कुछ भी गम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
भारत की पावन नदियों का, मीठा जल जैसे हो अमृत
और यहाँ की माटी भी तो, नहीं महकती चंदन से कम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
दुश्मन अगर उठाता है सर उसे कुचल देते है फौरन
भारत को ललकार सके है, नहीं किसी में भी इतना दम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
पूजे जाते जिस भारत में, सूरज चाँद सितारे भी हैं
कैसे वहाँ ठहर सकता है, कभी कहीं भी फिर कोई तम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
लोकतांत्रिक देश हमारा, हमें गर्व होता है इस पर
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, सबको ही अधिकार मिले सम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
अतिथि होते देव सरीखे सिखलाते संस्कार हमारे
मगर सामने दुश्मन हो तो बन जाते हैं तब हम भी यम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
प्रत्येक क्षेत्र में हमने लोहा मनवाया है, मनवाएँगे ।
लहराएगा सदा तिरंगा अपना सबसे ऊँचा परचम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम।
कहीं हिमालय की चोटी हैं, कहीं बहे गंगा की धारा
यहीं स्वर्ग कश्मीर हमारा, जिसकी छटा ‘अर्चना’ अनुपम
वंदे मातरम, वंदे मातरम,वंदे मातरम, वंदे मातरम
12-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद