वंदन हमारा
इतिहास को हमारे, पत्थर बता रहे हैं,
हर एक प्रश्न के वो, उत्तर सुना रहे है,
प्रचण्ड शौर्य लेकर, हमने जगत बचाया,
जो प्रेम लेके आया, उनको गले लगाया,
संतान को हमेशा, संस्कार दे के पाला,
थाली में भी परोसा, सम्मान का निवाला,
बलिदान से हमेशा, इतिहास को रचा है
ध्वनियां सुनाई ना दे, कोना कहा बचा है
मृत्यु भले निकट हो, भय शून्य भर ना देखा,
अंकित रही सदा से, तप शौर्य की वो रेखा
त्याग की घड़ी में, निज शीश को धरा है,
तन में लहू के बदले, बस शौर्य को भरा है,
रक्षार्थ बेटियों के, आगे किया है सीना
अधिकार किसका हमने, निज स्वार्थ हेतु छीना,
सोए हुए हृदय में, देश प्रेम को जगाए,
मांए सुनाती हरदम, बलिदान की कथाएं
अभिमान छोड़ करके सम्मान को बुना है,
हमने स्वयं से पहले, इस राष्ट्र को चुना है
अपने लहू से मां का, श्रृंगार करने वाले,
विपदा में शिव के जैसा, अवतार धरने वाले,
जिनकी भुजा में बसते, शंकर स्वयं भवानी,
वो वीर दे गए जो, इस राष्ट्र को जवानी,
भयभीत होके बोलो, वीर कब मरा है
संग्राम में हमेशा, निर्भय हुए खड़ा है
लड़ कर भी आंधियों से बनते रहे सहारा
उन वीर के चरण में शत् शत् नमन हमारा