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29 Mar 2021 · 2 min read

वंदना

गणपति वंदना

1
बालचंद्र! बालगनपति! बुद्धि के विधाता!,
आनन्दकरन आभा आप अभिराम है।।

अकृता! अमित! भीमा!, भूपति! भुवनपति!,
देवा देवा! देवव्रत!, दुनिया में नाम है।।

महागणपति जी! देवाधिदेव! मानते हैं,
मातृ पितृ परिक्रमा में ही चारो धाम है।।

गणाध्यक्ष! गजावक्र!, गजानन! गदाधर!,
गौरीसुता! गणपति! तुमको प्रणाम है।।

2
शम्भवी! ईशानपुत्रा!, सुमुखा! सुरेश्वरम!
सिद्धिप्रिय! रुद्रप्रिय!, देव् अधिराज हो।।

श्वेता! दुर्जा! सिद्धिदाता!, एकदृष्टा! एकदन्त!,
वक्रतुंड! उमापुत्र!, गुणियों के साज हो।।

विश्वमुखा! विश्वराजा! विनायक! विघ्नहारी!
वरापदा! वरागनपति! गणराज! हो।।

शुभकारी! क्षेमकारी! आप हो प्रथम पूज्य,
रखते सदा ही तुम, दीनन की लाज हो।।

सरस्वती वंदना

1
चंद्रलेखाविभूषिता! विंध्याचलविराजिता!
रक्तबीजनिहन्त्री! त्रिगुणा! शास्त्ररूपिणी!।।

महाभद्रा! ज्ञानमुद्रा! महाविद्या! वरप्रदा!
महामाया! सरस्वती! परा! ज्ञानदायिनी!।।

कामप्रदा! नमस्कृता! चतुर्वर्गफलप्रदा!
निरंजना! हंसासना! विश्वा! हंसवाहिनी!।।

महाकाली! महाबला! महाकारा! महाफला!
महापाशा! महाभोगा! महाभुजा! मालिनी!।।

2
भुवनेश्वरी! भारती! माँ नीलभुजा! वैष्णवी!
बुद्धि रिद्धि सिद्धि दायी! मन में उजास दो।।

जगती! गोमती! शिवा!, अम्बिका! जटिला! सौम्या!
कुमुदी! विनिद्रा! वंद्या!,जीवन में आस दो।।

सौदामिनी! सुधामूर्ति! चित्रगन्धा! त्रयीमूर्ति!
विद्यारूपी! वागदेवी! विजयी आकाश दो।।

चंद्रलेखा! कालधारा! चंद्रवदना! चंद्रिका!
साधना! सुनासा! भाना!, ज्ञान का प्रकाश दो।।

दो घनाक्षरियाँ बाबा भोलेनाथ पर

1
गौरापति! गणपिता! त्रिपुरारी! बम बम!,
महाकाल! महादेव! महा अवतार है।।

भूतेश्वर! नागेश्वर! मुक्तेश्वर! रामेश्वर!
भीमेश्वर! सर्वेश्वर! जगत आधार है।।

पारवती के पति जो, डमरू बजाने वाले,
भोले बाबा!जटाधारी!, नन्दी पे सवार है।।

दीन दुखियों की सदा, पीर हरने वाले जो,
दीनानाथ! आपकी तो, होवे जै जैकार है।।

2
रुंडगलमालाधारी! त्रिलोकी! नरेश शम्भू!
शिवदानी! महादानी! महादयावान हो।।

उमाकांत! प्राणनाथ! रुद्रनाथ! सोमनाथ!
नटराज! विश्वनाथ! का ही गुणगान हो।।

अनादि! अमर! आशुतोष! अर्धनारीश्वर!
आदिनाथ! ओमकार! सबसे महान हो।।

अवघड़दानी! पशुपति! अवधूतपति!
जगत नियंता! आप सर्वशक्तिमान हो।।

माँ दुर्गा की वंदना

1

पट्टाम्बर! परिधाना! अपर्णा! अनेकवर्णा!
सर्ववाहनवाहना! सर्वअस्त्रधारिणी!।।

महिषासुरमर्दिनी! निशुम्भशुम्भहननी!
घोररूपा! रुद्रमुखी! अनेकास्त्रधारिणी!।।

चण्डमुण्ड विनाशिनी! सत्यानन्द स्वरूपिणी!
भवप्रीता भवमोचनी पिनाकधारणी।।

महोदरी मुक्तकेशी महाबला माहेश्वरी
भाव्या! भव्या! भाविनी! अभव्या! शूलधारिणी!।।

2

सत्या! सर्वशास्त्रमयी! नित्या! सर्वमंत्रमयी!
नारायणी कात्यायनी प्रखर विचार दो।।

शिवदूती! जलोदरी! एककन्या! रत्नप्रिया!
सर्वविद्या! चित्तरूपा! चित्त में निखार दो।।

दक्ष यक्ष विनाशिनी! सर्वदानवघातिनी!
अहंकारा! चन्डघन्टा! मन में संचार दो।।

यति! युवती! किशोरी!, भद्रकाली! अग्निज्वाला!,
विष्णुमाया! दक्षकन्या!, बिगड़ी सवार दो।।

साहेबलाल सरल
बालाघाट म प्र

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