Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2020 · 2 min read

” लड़ाई हिंदुस्तान – पाकिस्तान की “

प्रथम अनुभव / पहला डर ( संस्मरण )

बात मेरे बचपन सन 1971 की है मैं पाँच साल की थी ( मुझे अपने दो साल की उम्र से सारी बातें याद हैं ) कड़कती सर्दी पड़ रही थी भारत – पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था एक अजीब सा डर का माहौल चारों तरफ फैला था । अम्माँ सुबह अखबार पढ़ती बताती कुछ भी समझ नही आता समझ आता तो बस डर बच्ची थी लड़ाई वो भी बम से इससे ज्यादा डरावनी बात मेरे लिए और कुछ थी ही नही । सारे रौशनदानों में अखबार लगा दिये गये थे कहीं से कोई रौशनी बाहर ना जा पाये । एक रात सायरन बजा ” ब्लैक आउट ” का सारी लाईटें बंद कर दी गईं अम्माँ ने लालटेन जलाई मैंं बहुत डर रही थी मुझे लग रहा था इसकी रौशनी भी बाहर जली जायेगी…सब लोग आपस में बात कर रहे थे मैं रोने लगी मुझे रोता देख अम्माँ ने पूछा ” क्या हुआ रो क्यों रही हो ? ” मैने रोते हुये ही जवाब दिया ” अम्माँ तुम सब लोग बात कर रहे हो तुम लोगों की बात पाकिस्तानी सुन लेगें और मेरे घर पर ही बम गिरा देंगें ” अम्माँ ये सुन कर हँसने लगीं उनकी हँसी देख मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था की यहाँ हम सब बम गिरने से मर जायेगें और अम्माँ हँस रहीं हैं , अम्माँ ने मुझे समझाया की हमारी आवाज उन तक नही पहुँचेगी लेकिन मेरी समझ में कुछ नही आ रहा था बस एक ही रट लगाये बैठी थी की ” कोई भी बात मत करो और करनी भी है तो रजाई के अंदर घुस कर करो…नही तो पाकिस्तानी हमारे घर पर बम गिरा देगें ” आज भी जब वो घटना याद करती हूँ तो हँसी आती है लेकिन बचपन था और उस वक्त वो डर का एहसास इतना जबरदस्त था की मैं उसको शब्दों में बयां नही कर सकती ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 06/10/2020 )

Language: Hindi
232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
कीमती
कीमती
Naushaba Suriya
💐प्रेम कौतुक-431💐
💐प्रेम कौतुक-431💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
बस्ते...!
बस्ते...!
Neelam Sharma
अपना दिल
अपना दिल
Dr fauzia Naseem shad
हो गये अब हम तुम्हारे जैसे ही
हो गये अब हम तुम्हारे जैसे ही
gurudeenverma198
आंख खोलो और देख लो
आंख खोलो और देख लो
Shekhar Chandra Mitra
हा मैं हारता नहीं, तो जीतता भी नहीं,
हा मैं हारता नहीं, तो जीतता भी नहीं,
Sandeep Mishra
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
Pooja Singh
मस्ती का त्यौहार है,  खिली बसंत बहार
मस्ती का त्यौहार है, खिली बसंत बहार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
https://youtube.com/@pratibhaprkash?si=WX_l35pU19NGJ_TX
https://youtube.com/@pratibhaprkash?si=WX_l35pU19NGJ_TX
Dr.Pratibha Prakash
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
शेखर सिंह
मैं तो महज आवाज हूँ
मैं तो महज आवाज हूँ
VINOD CHAUHAN
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
Fuzail Sardhanvi
In the middle of the sunflower farm
In the middle of the sunflower farm
Sidhartha Mishra
वहशीपन का शिकार होती मानवता
वहशीपन का शिकार होती मानवता
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
रिहाई - ग़ज़ल
रिहाई - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना
Ram Krishan Rastogi
ఇదే నా భారత దేశం.
ఇదే నా భారత దేశం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सियासत
सियासत
हिमांशु Kulshrestha
सूखी नहर
सूखी नहर
मनोज कर्ण
"बचपन याद आ रहा"
Sandeep Kumar
शीर्षक:जय जय महाकाल
शीर्षक:जय जय महाकाल
Dr Manju Saini
आओ कृष्णा !
आओ कृष्णा !
Om Prakash Nautiyal
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
_सुलेखा.
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*गाई गाथा राम की, तुलसी कविकुल-भूप (कुंडलिया)*
*गाई गाथा राम की, तुलसी कविकुल-भूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...