Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2018 · 2 min read

लड़की

घर में लड़की ने जन्म क्या लिया
मातम होने लगा।
मां कह रही थी अपशकुन होने वाला है ।
बाबूजी पैसेवर नेता थे वो भी देहलीज पर अपना माथा फोड़ रहे थे।
उनकी पार्टी का एक मेम्बर बढ़ने वाला था वो घट गया।
मैं चुप चाप खड़ा उनका नाटक देख रहा था ।
अचानक मेरा ध्यान दाई की तरफ गया,
दाई मां से कह रही थी
इस बला को थैले में डालकर रात में बाहर फैंक दो कुत्ते बिल्ली नोच खाएंगे और खेल खत्म ।
और हां इस तरह तुम पुण्य की भागीदार भी बनोगी,
वो कैसे…?मां धीरे से बोली
अगर तुम्हारे घर से कुछ जाएगा अनबोल जानवरों के लिए तो पुण्य तो तुम्हें ही मिलेगा ना
मुझे बस कुछ पैसे दे देना मैं तुम्हारी बहू से कह दूँगी मरी हुई बच्ची को जन्म दिया था तुमने ।
कुछ पल रोएगी फिर सब ठीक हो जाएगा।
मां मौन थी इसका मतलब मां एक कत्ल करने को तैयार थी।
मैं पसीने से तर्बतर, हालत ऐसी जैसे काटो तो खून नहीं।
मेरी अंतर आत्मा रो उठी, मैने जोर से आवाज लगाई
मां…जल्दी आओ साथ में एक कुल्हाड़ी भी लाना
क्या हुआ बेटा
मत कहो मुझे अपना बेटा, लाओ कुल्हाड़ी और चीर दो मुझे
मैं रो रहा था और कह रहा था
तुम इस बेजुबान को मारने की बात कर रही हो
एक तरफ पुण्य की भागीदारी चाहती हो
तुमने सच कहा अपशकुन होने वाला है ।
इस से बड़ा अपशकुन और क्या होगा,जब खुद जननी ही अपने बच्चों को मारने लगे।
ओर ये राजनेता बने फिरते हैं, भाषण देते हैं, बेटी बचाओ, बेटियाँ घर का चिराग है,बेटियाँ देश की शान है
आज खुद के घर में बेटी क्या आ गई, इनको लगता है मुसीबत आ गई । बेटियों का सम्मान वो नारे वो वादे सब कहाँ गए..?
धिक्कार है तुम सब पर , धिक्कार है
मैं जा रहा हुँ तुम्हारा घर छोड़ कर
मेरी बेटी हैवानियत का शिकार नहीं होगी
मेरे लिए ये कल्पना चावला है
मेरे लिए सब कुछ है बेटे से भी अधिक बढ़कर है । राज स्वामी
गाँव-परलीका,तहसील-नोहर
जिला-हनुमानगढ़ (राज.)
पिन कोड-335504
Mobile-9929745387

Language: Hindi
1 Like · 576 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)
इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)
पियूष राज 'पारस'
गंगा
गंगा
लक्ष्मी सिंह
जिंदगी का फ़लसफ़ा
जिंदगी का फ़लसफ़ा
मनोज कर्ण
मसला सिर्फ जुबान का हैं,
मसला सिर्फ जुबान का हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
श्री राम वंदना
श्री राम वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
खेल
खेल
Sushil chauhan
मिलती है मंजिले उनको जिनके इरादो में दम होता है .
मिलती है मंजिले उनको जिनके इरादो में दम होता है .
Sumer sinh
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
राख देख  शमशान  में, मनवा  करे सवाल।
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
गुमनाम 'बाबा'
अगर तुम कहो
अगर तुम कहो
Akash Agam
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
Sonam Puneet Dubey
विषय- सत्य की जीत
विषय- सत्य की जीत
rekha mohan
4941.*पूर्णिका*
4941.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सच कहना बचा रह जाता है
सच कहना बचा रह जाता है
Arun Prasad
प्यार रश्मि
प्यार रश्मि
Rambali Mishra
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सपने देखने का हक हैं मुझे,
सपने देखने का हक हैं मुझे,
Manisha Wandhare
योग स्वस्थ जीवन का आधार
योग स्वस्थ जीवन का आधार
Neha
मन मेरा दर्पण
मन मेरा दर्पण
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
इशारा
इशारा
Sumangal Singh Sikarwar
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
Dear Cupid,
Dear Cupid,
Vedha Singh
गीत भी तुम साज़ भी तुम
गीत भी तुम साज़ भी तुम
सुशील भारती
👌बोगस न्यूज़👌
👌बोगस न्यूज़👌
*प्रणय*
मैं देता उनको साधुवाद जो निज कर्तव्य निभाते
मैं देता उनको साधुवाद जो निज कर्तव्य निभाते
महेश चन्द्र त्रिपाठी
दुल्हन ही दहेज है
दुल्हन ही दहेज है
जय लगन कुमार हैप्पी
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
Subhash Singhai
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
Shiva Awasthi
शांत सा जीवन
शांत सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
Loading...