लड़की
घर में लड़की ने जन्म क्या लिया
मातम होने लगा।
मां कह रही थी अपशकुन होने वाला है ।
बाबूजी पैसेवर नेता थे वो भी देहलीज पर अपना माथा फोड़ रहे थे।
उनकी पार्टी का एक मेम्बर बढ़ने वाला था वो घट गया।
मैं चुप चाप खड़ा उनका नाटक देख रहा था ।
अचानक मेरा ध्यान दाई की तरफ गया,
दाई मां से कह रही थी
इस बला को थैले में डालकर रात में बाहर फैंक दो कुत्ते बिल्ली नोच खाएंगे और खेल खत्म ।
और हां इस तरह तुम पुण्य की भागीदार भी बनोगी,
वो कैसे…?मां धीरे से बोली
अगर तुम्हारे घर से कुछ जाएगा अनबोल जानवरों के लिए तो पुण्य तो तुम्हें ही मिलेगा ना
मुझे बस कुछ पैसे दे देना मैं तुम्हारी बहू से कह दूँगी मरी हुई बच्ची को जन्म दिया था तुमने ।
कुछ पल रोएगी फिर सब ठीक हो जाएगा।
मां मौन थी इसका मतलब मां एक कत्ल करने को तैयार थी।
मैं पसीने से तर्बतर, हालत ऐसी जैसे काटो तो खून नहीं।
मेरी अंतर आत्मा रो उठी, मैने जोर से आवाज लगाई
मां…जल्दी आओ साथ में एक कुल्हाड़ी भी लाना
क्या हुआ बेटा
मत कहो मुझे अपना बेटा, लाओ कुल्हाड़ी और चीर दो मुझे
मैं रो रहा था और कह रहा था
तुम इस बेजुबान को मारने की बात कर रही हो
एक तरफ पुण्य की भागीदारी चाहती हो
तुमने सच कहा अपशकुन होने वाला है ।
इस से बड़ा अपशकुन और क्या होगा,जब खुद जननी ही अपने बच्चों को मारने लगे।
ओर ये राजनेता बने फिरते हैं, भाषण देते हैं, बेटी बचाओ, बेटियाँ घर का चिराग है,बेटियाँ देश की शान है
आज खुद के घर में बेटी क्या आ गई, इनको लगता है मुसीबत आ गई । बेटियों का सम्मान वो नारे वो वादे सब कहाँ गए..?
धिक्कार है तुम सब पर , धिक्कार है
मैं जा रहा हुँ तुम्हारा घर छोड़ कर
मेरी बेटी हैवानियत का शिकार नहीं होगी
मेरे लिए ये कल्पना चावला है
मेरे लिए सब कुछ है बेटे से भी अधिक बढ़कर है । राज स्वामी
गाँव-परलीका,तहसील-नोहर
जिला-हनुमानगढ़ (राज.)
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