लड़का/लड़की
उर्मिला अपनी डा० को दिखा ( एक – दो दिन में डिलीवरी की डेट थी ) पति और छोटी बेटी के साथ हॉस्पिटल से बाहर आई और रास्ते में कुछ ज़रूरी सामान खरीद कर सब वापस घर पहुँचे , उसकी डा० बता रहीं थी की उनके पास उसकी सासू माँ का दो – तीन बार फोन आया था ये जानने के लिए की अल्ट्रासाऊंड से तो पता चल गया होगा लड़का – लड़की का लेकिन उन्होंने मना कर दिया ये कहते हुये की ये गलत है और मेरी पेशैंट को इसमें कोई दिलचस्पी नही है…ये सुन उर्मिला बहुत खुश हो गई थी । एक दिन बाद ही उसको ऐडमिट होना था डा० की ख़ास हिदायत थी की अगर इसके बीच बच्चे का मूवमेंट कम लगे तो तुरंत हॉस्पिटल आ जाये , पहली बेटी सीज़ेरियन हुई थी इसलिए ज्यादा चांस सीज़ेरियन के ही थे ।
उर्मिला को अपनी बेटी के लिए एक बहन या भाई चाहिए था अगर बेटी हो जाये तो बहुत अच्छा क्योंकि सासू माँ की बेटे को लेकर जो ज़िद थी उसको एकदम पसंद नही आ रही थी । समय से सब सुबह – सुबह हॉस्पिटल पहुँच गये चैकअप के बाद उर्मिला ऑपरेशन थियेटर में चली गई , ऑपरेशन के दौरान अर्धमूर्छित सी उर्मिला से डा० ने पूछा अब तो बता दो क्या चाहिए ? आपको तो पता है लड़की चाहिए ये सुन डा० हँस दीं और नर्स को बोलीं जाओ बाहर इसकी सासू माँ को दे आओ लड़का देख खुश हो जायेंगीं । शाम तक उर्मिला पूरी तरह होश में आ गई थी सासू माँ अपनी गोद में पोते को ले कर तृप्त हो बैठी थीं
बेटी अपने भाई के साथ खेल कर उपर डा० के बच्चों के साथ खेलने चली गई , परिवार के और लोग भी आ गये थे ” लड़का हुआ है देख कर सभी खुश थे ….बेटी को खेलते मेें पता चला की मम्मा को होश आ गया है तुरंत दौड़ती हुई आई और रूआँसी होकर उर्मिला से बोली ” मम्मा तुमने तो बोला था की लड़की होगी लेकिन दादी तो बोल रही हैं की ये लड़का है…लड़के तो बहुत लड़ाई करते हैं ” ये सुन सब हँस दिये लेकिन ये सुन दादी का मुँह उतर गया उनको ना पोती तब अच्छी लगती थी ना आज लग रही थी ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 26/07/2020 )