लौट के आना होगा तो सबसे पहले तुझसे मिलेंगे और जी भर के मिलें
लौट के आना होगा तो सबसे पहले तुझसे मिलेंगे और जी भर के मिलेंगे……।
तुम अगर रास्ते में ही रास्ते बदल गए..,
फिर ना जाने हम कब और कहां मिलेंगे।
तुम किसी और की बगीचे की महक बनोगी,
हम किसी और बगीचे की साख पर खेलेंगे।
तुम अलग मंजर चलोगे हम अलग मंजर चलेंगे..,
किस दिशा में तुम ढलोंगे किस दिशा में हम ढलेंगे।
जरूरी नहीं कि हर नदी दरिया को रोशन करें..,
हकीकत यह तो है कि साथ कभी समुद्रों में मिलेंगे।
कभी हवा बनकर टकराए तो तुझे खुशबू से पहचान लेंगे ,
तुझे तूफानों में उड़ा कर एक पल के लिए अपना मान लेंगे ।
मिट्टी में एक दिन अगरमिल भी गए तो क्या हुआ
फिर खिलेंगे किसी पेड़ की साख पर फूल बनकर
फिर से दुनिया में खुशबू की तरह छा जाएंगे
खुशबूओं से अपनी दुनिया को महका जाएंगे द
ना आ करीब मेरे कांटा बनकर तू दौर ए गर्दिश ,
बड़ी कोमल देह है मेरी छूते ही हम मुरझा जाएंगे ।
इससे पहले कि हम जिंदगी से लौट कर जाएंगे
हमारे खुशबू के पैमाने पूरा चारों ओर जगमगा जाएंगे
✍️कवि दीपक सरल