लौट आओ पापा
लौट आओ पापा
जब तक तू, मेरे साथ था
बचपन का, आभास था ।
जिम्मेदारी, एक ना थी और
खुशियों संग, उल्लास था ।।
खता हुई, शायद कोई मुझसे
पल भर में तन्हा, छोड़ गए ।
भूल हुई तो, माफ भी कर दो
पापा तुम, नाता तोड़ गए ।।
तुझे देख कर, गर्व से मेरा
मस्तक ऊँचा रहता था ।
प्यारा बेटा, कहकर मुझको
दुख दर्द तू, मेरे सहता था ।।
मेरी पढ़ाई की, चिंता में
नींद तुझे नहीं, आती थी ।
चोट मुझे जब, लगती थी तो
रोटी, तुझे नहीं भाती थी ।।
मेरी खुशियों, की खातिर
सिर पर तूने, कर्ज लिया ।
रात-रात भर, जग कर तूने
सीने के दर्द का, मर्ज दिया ।।
तेरे बिना, लगता है मेरा
भगवान से नाता, टूट गया ।
अपनों का साथ, बना है फिर भी
लगता है, कोई छूट गया ।।
तेरे बिना, मेरी माता के
आँसू छलक, नहीं पाते हैं ।
जबरन उनको, रोकती लेकिन
बार-बार, आ जाते हैं ।।
आपके जाने से, मेरी बहना
गुमसुम सी, खोई रहती है ।
संग परिवार है, सारा उसके
तन्हा वह खुद को, कहती है ।।
आपके जाने से, दादी माँ
गुमसुम गुमनाम सी ऐंठी है ।
जीवन की आशा छोड़-छाड़ कर
सुध- बुध अपना खो बैठी है ।।
लौट आओ तुम, फिर से धरा पर
सूरज-चंदा भी तो, आते हैं ।
तेरे बिना, प्यारे पापा जी
अब दिन नहीं, काटे जाते हैं ।।