लौटे पंछी
बने घरोंदा
आये साँझ
पंछी अपने
उड़ी धूल
गोधुली बेला
लौटें बछड़े
गायों पास
नौकरपेशा
पति पत्नी
बच्चे अकेले
उम्मीद यहीं
आये साँझ
मिलन हो सुखद
परदेस
बसे बच्चे
माता पिता
करें इंतजार
कब होगी
साँझ
लेंगे बेटे सुध
जन्म
जीवन की
सुबह
पालन पोषण
दोपहर
इन्तजार
साँझ का
अंत
जीवन का
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल