लोरी
********* लोरी ********
**********************
अखियों में आजा निंदिया री
जल्दी से सुला जा निंदिया री
कब से हैं बैचन नैना रै
बैचेनी मिटा जा निंदिया री
चाँद तारे भी है सो गए
मुन्नी को सुला जा निंदिया री
भैया सोया, बहना। सोई
मुन्नी कब सोएगी निंदिया री
स्वर्ग में परियाँ भी सोई
मुनिया को आजा निंदिया री
जीव जंतु भी सारे हैं गए
नैनों में छा जा निंदिया री
लोरी सुनाए जा रही हूँ
लोरी में समा जा निंदिया री
कहानियां भी हूँ सुना हटी
जाने कहाँ खोई निंदिया री
गेंसू सहलाए जा रही हूँ
तुम भी बहल जा़ निंदिया री
थकी नजर हैं ठहर सी गई
नैनों को ठहरा निंदिया री
सुखविन्द्र भी तो नींद में है
नींद में झुला जा निंदिया री
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)