लोभ
ना जाने लोग क्या – क्या कर जाते,
कारण इसके,
सिवा मिथ्या प्रसन्नता के,
मिलता न कुछ उन्हें,
फिर भी दूसरों के साथ – साथ,
लोग अपना घर भी उजाड़ लेते।
बच नहीं पाता लोभ कि माया से कोई,
धर्म युद्ध महाभारत भी देन इसकी।
सिर्फ ढाई अक्षर कि शब्द यह,
डुबो देती पुरी दुनिया को,
अपनो नहीं अपने को भी,
खा जाती लोभ यह।