Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2021 · 1 min read

लोभ माया का संसार ।

लोभ माया का संसार , गर्त ले जायेगा ।

समय पर सुधर जा अपितु , घोर दुःख पायेगा।।

Language: Hindi
2 Likes · 419 Views

You may also like these posts

■ welldone
■ welldone "Sheopur"
*प्रणय*
मेरी एक बार साहेब को मौत के कुएं में मोटरसाइकिल
मेरी एक बार साहेब को मौत के कुएं में मोटरसाइकिल
शेखर सिंह
23/99.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/99.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
*कर्ज लेकर एक तगड़ा, बैंक से खा जाइए 【हास्य हिंदी गजल/गीतिका
*कर्ज लेकर एक तगड़ा, बैंक से खा जाइए 【हास्य हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
Phool gufran
पीड़ा किसको चाहिए कौन लखे दुख द्वेष ।
पीड़ा किसको चाहिए कौन लखे दुख द्वेष ।
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मानवता
मानवता
Poonam Sharma
Not longing for prince who will give you taj after your death
Not longing for prince who will give you taj after your death
Ankita Patel
I'm always with you
I'm always with you
VINOD CHAUHAN
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
Buddha Prakash
हंसी का महत्व
हंसी का महत्व
manorath maharaj
कविता
कविता
Rambali Mishra
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
बाल कविता मोटे लाला
बाल कविता मोटे लाला
Ram Krishan Rastogi
बेकसूर तुम हो
बेकसूर तुम हो
SUNIL kumar
मसला ये नहीं कि लोग परवाह क्यों नहीं करते,
मसला ये नहीं कि लोग परवाह क्यों नहीं करते,
पूर्वार्थ
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
संतोष बरमैया जय
अपना नैनीताल...
अपना नैनीताल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पर्यावरण
पर्यावरण
Dr Archana Gupta
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
Sonam Puneet Dubey
कुछ टूट गया
कुछ टूट गया
Dr fauzia Naseem shad
वंदना
वंदना
पंकज परिंदा
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
Vandana Namdev
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल (ये अन्दाज़ अपने निराले रहेंगे)
ग़ज़ल (ये अन्दाज़ अपने निराले रहेंगे)
डॉक्टर रागिनी
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...