“लोभी बंदर”
“लोभी बंदर”
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लोभी बंदर,
मिले हर घर के अंदर।
कुछ भी देख,
ये सदा ही, ललचाए।
नही मिले जो,
तब बहुत छटपटाए।
हक मारना,
इसकी होती आदत।
झक मारना,
इसकी बनी किस्मत।
मानवता का,
ये सदा, ढोंग रचाए।
भरा पेट भी,
मुफ्त का सब खाए।
देखता रहता,
कि कौन, क्या पाए।
मौका देखते ही,
गैरों का भी हथियाए।
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…. ✍️प्रांजल
…….कटिहार।