Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2017 · 1 min read

लोग हमेशा सताते रहे

लोग हमेशा सताते रहे
अश्क़ आँखों में आते रहे

तड़पते रहे गए हम उनकी यादों में
वो भी सदा अपनी यादों में तड़पाते रहे

भटक गए थे चंद क़दम
वो भी सदा भटकाते रहे

बंज़र था जहाँ सारा
सूखे में अश्क़ आते रहे

अपना बनाया ही कब था
हमेशा गैर वो अब बताते रहे

अँधेरा दूर ही कब हुआ था
जलते चिराग़ को भी बुझाते रहे

बेवफ़ाई जब करनी ही थी तो
क्यों वफ़ा के किस्से सुनाते रहे

पतझड़ ही रहा जीवन में
सावन के लिए तरसाते रहे

भूपेंद्र रावत
11।09।2017

1 Like · 391 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राखी का कर्ज
राखी का कर्ज
Mukesh Kumar Sonkar
होते वो जो हमारे पास ,
होते वो जो हमारे पास ,
श्याम सिंह बिष्ट
बरसात
बरसात
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"व्यर्थ है धारणा"
Dr. Kishan tandon kranti
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है
कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है
Ram Krishan Rastogi
Aaj samna khud se kuch yun hua aankho m aanshu thy aaina ru-
Aaj samna khud se kuch yun hua aankho m aanshu thy aaina ru-
Sangeeta Sangeeta
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
वेलेंटाइन डे एक व्यवसाय है जिस दिन होटल और बॉटल( शराब) नशा औ
Rj Anand Prajapati
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
एक समझदार व्यक्ति द्वारा रिश्तों के निर्वहन में अचानक शिथिल
एक समझदार व्यक्ति द्वारा रिश्तों के निर्वहन में अचानक शिथिल
Paras Nath Jha
■ आप आए, बहार आई ■
■ आप आए, बहार आई ■
*Author प्रणय प्रभात*
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
Tarun Garg
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
Smriti Singh
नमन!
नमन!
Shriyansh Gupta
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
*किस्मत वाले जा रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
मां, तेरी कृपा का आकांक्षी।
मां, तेरी कृपा का आकांक्षी।
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
Basant Bhagawan Roy
*मजदूर*
*मजदूर*
Shashi kala vyas
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
Manisha Manjari
परम सत्य
परम सत्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
AJAY AMITABH SUMAN
नफ़रत के सौदागर
नफ़रत के सौदागर
Shekhar Chandra Mitra
चलो हम सब मतदान करें
चलो हम सब मतदान करें
Sonam Puneet Dubey
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
शुभ रात्रि मित्रों.. ग़ज़ल के तीन शेर
आर.एस. 'प्रीतम'
ख़ुद से ख़ुद को
ख़ुद से ख़ुद को
Akash Yadav
Loading...