लोग क्यों प्यार को व्यापार बना देते हैं
लोग क्यों प्यार को व्यापार बना देते हैं
घर की हर बात कोअखबार बना देते हैं
जान कमजोरियां लेते हैं वो अपने बनकर
फिर उन्हें वार का हथियार बना देते हैं
करते आलोचना कुछ लोग यहाँ ऐसे भी
जीत की ही खुशी को हार बना देते हैं
गलती करके बना मासूम सी अपनी सूरत
वो बहाने नये दो चार बना देते हैं
मिलते हैं ‘अर्चना’ कम लोग यहाँ पर ऐसे
ज़िन्दगी प्यार से गुलजार बना देते हैं
22-12-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद