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8 Aug 2017 · 1 min read

लोग क्यों इतने मगरूर हो रहे हैं

न जाने लोग क्यों इतने मगरूर हो रहे हैं
खुद को पहचानते नहीं खुद ही में मशहूर हो रहे हैं
यूं तो गिले शिकवे हम भी किसी की करते नहीं
सहनशील हैं बहुत पर धैर्य भी अब चूर हो रहे हैं
उम्र की नजाकत है मेरी या वक्त का तकाजा
जो आप जैसों के सामने भी हम मजबूर हो रहे हैं
इंसान तो रहे नहीं जैसे पंख लग गये
सिर ऐसे उठाते हैं जैसे गरूड़ हो रहे हैं
रंजिशे बहुत हैं मुझसे जमाने की
शायद इसीलिए वो इतने क्रूर हो रहे हैं
कभी डूबकर सुना करते थे मेरे जख्म के किस्से
आज क्यों हमदर्दी छोड़ मेरे लिए दस्तूर हो रहे हैं
कश्यप ये दुनिया अब ज्यादा चलने वाली नहीं
धरा और नीचे नभ और दूर हो रहे हैं

#Abhishek kashyap

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 502 Views

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