लोक-शैली ‘रसिया’ पर आधारित रमेशराज की तेवरी
लोक-शैली ‘रसिया’ पर आधारित रमेशराज की तेवरी
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मीठे सोच हमारे, स्वारथवश कड़वाहट धारे
भइया का दुश्मन अब भइया घर के भीतर है।
इक कमरे में मातम, भूख गरीबी अश्रुपात गम
दूजे कमरे ताता-थइया घर के भीतर है।
नित दहेज के ताने, सास-ननद के राग पुराने
नयी ब्याहता जैसे गइया घर के भीतर है।
नम्र विचार न भाये, सब में अहंकार गुर्राये
हर कोई बन गया ततइया घर के भीतर है।
नये दौर के बच्चे, तुनक मिजाजी-अति नकनच्चे
छटंकी भी अब जैसे ढइया घर के भीतर है।
+रमेशराज